अजय कुमार श्रीवास्तव, गोपालगंज।
देश में कुछ दिनों पूर्व स्वच्छ भारत मिशन के तहत स्वच्छता का अभियान चलाकर सड़कों और नालों तक की सफाई कराई गई क्या नेता क्या अधिकारी सभी सुर्खियों में बने रहने के लिए झाड़ू लगाते हुए फोटो खिंचवा कर अखबारों के मुख्य पृष्ठ पर अपने आपको अंकित करवाया है लेकिन आज हर कार्यालयों में गंदगी का अंबार नजर आने लगा है अंचल कार्यालय भोरे इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है आप जैसे ही अंचल कार्यालय में प्रवेश करेंगे सामने दीवार पर पान के पीक नजर आने लगेगा बगल में शौचालय है। शौचालय ऐसा की देखने का मन नहीं करता शौचालय गंदगी से भरा पड़ा है मानो वर्षों से उसकी सफाई नहीं कराई गई है वहां खड़ा होना भी मुश्किल है सीओ साहब का चेंबर भी सटे ही है लेकिन साहब को ना तो गंदगी दिखती है ना बदबू ही आती है क्योंकि काम का बोझ इतना ज्यादा है कि गंदगी ना तो दिखाई देता है ना बदबू आती है। अखबारों में सुर्खियों में बने रहने के लिए सभी अधिकारी झाड़ू पकड़ कर अपने आप को स्वच्छ भारत मिशन का हिस्सा बताया और अपना पीठ खुद ही थपथपाया लेकिन इस गंदगी के अंबार से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वह झाड़ू पकड़ कर फोटो खिंचवा ना और सरकार का लाखों करोड़ों रुपए खर्च हो जाना सिर्फ और सिर्फ दिखावा और ढकोसला था। आपको बता दें कि अंचल कार्यालय में स्वीपर पर भी है लेकिन गंदगी का अंबार साहब को नहीं दिखाई देता स्वीपर क्या काम कर रहा है साहब को पूछने का फुर्सत भी नहीं है आम आदमियों से पूछने पर ज्यादातर लोगों ने बताया कि दो 2 साल से नापी के लिए दिए गए आवेदन पर कोई सुनवाई नहीं हुई लेकिन साहब किस फाइल में व्यस्त हैं कि इनको अपना नंबर और ऑफिस देखने की फुर्सत नहीं है।