बद्रीप्रसाद गुप्ता, लातेहार।
किसानों ने 24 फरवरी को ऋण वसूली में सख्ती से खिलाफ आंदोलन के बावजूद भी बैंक द्वारा किसानों को डराने-धमकाने की मामले थम नहीं रहे हैं
चंदवा – बैंकों की ओर से कर्ज चुकाने की दबाव लगातार किसानों पर बनाए जाने की बातें सामने आ रही है, किसानों ने हाल ही में बैंक के तगादे से परेशान होकर व कर्जमाफी को लेकर जमीन में गड्डे खोद कर समाधि पर बैठ गए थे। बीडीओ से आश्वासन भी मिला था, इसके बाद भी बैंकों द्वारा ऋण वसूली में किसानों को डराने-धमकाने की मामले थम नहीं रहे हैं, ताजा मामला कुसूम टोला का है, जहां बैंक तगादे से त्रस्त होकर गरीब किसान खदिया उरांव ने ऋण चुकाने के लिए सस्ते दाम में खेती गृहस्थी कार्य के लिए रखे अपने दो बैल को बेच डाली है, इसकी सूचना मिलते ही माकपा के पुर्व जिला सचिव सह झारखंड राज्य किसान सभा के जिलाध्यक्ष अयुब खान, झामुमो के सीतमोहन मुंडा, समाजसेवी सुरेश कुमार उरांव, कॉग्रेस प्रखंड अध्यक्ष असगर खान, बाबर खान ने घर जाकर किसान खदिया उरांव से मुलाकात कर मामले की बाबत जानकारी हासिल किया, किसान खदिया उरांव ने नेताओं को बताया कि मैंने बैंक अॉफ इंडिया से केसीसी ऋण 25000 (पचीस हजार रुपए) कर्ज लेकर खेती किया था, मौसम की मार से फसल बर्बाद हो गया, जिसके कारण मैं कर्ज अदा नहीं कर पाया, इधर बैंक वाले एक सप्ताह पहले घर आकर बोलकर गए कि 25 फरवरी तक ऋण जमा करने पर पचीस हजार लगेगा, बाद में एकतालीस हजार लगेगा, नहीं जमा करने पर कोर्ट कचहरी का चक्कर लगाना होगा, जेल जाना होगा, घर की कुर्की जब्ती भी होगी, 26 फरवरी को भी बैंक की ओर से घर आकर परिजनों से तगादा किया गया, ऐसी धमकी के आगे डरकर तथा तगादे से परेशान होकर कर्ज चुकाने के लिए करीब चालीस हजार का दो बैल छब्बीस हजार में ही बेच दिया, किसान की फरियाद सुनकर अयुब खान ने किसान के घर से ही इस मामले की जानकारी प्रखंड विकास पदाधिकारी अरविंद कुमार को मोबाइल पर दी, कहा है कि किसानों का कर्जमाफी का फैसला हेमंत सोरेन सरकार को जल्द लेना चाहिए।
*राहुल कुमार के साथ बद्री गुप्ता की ब्यरो रिपोर्ट*