आशीष कुमार/इंडिया न्यूज़ नाउ/ पटना
एक बार फिर से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अरविंद केजरीवाल का जादू चल गया है। दिल्ली में धर्म ही नहीं अमीर गरीब के बीच भी केजरीवाल सेतु बनकर उभर गए हैं। दिल्ली में केजरीवाल ने सरकारी स्कूल और मोहल्ला क्लीनिक का प्रयोग कर राजनीति में अपनी लकीर खींच दी है। जाति, धर्म, अमीर, गरीब, झोपडपट्टी, मिडिल क्लास, छोटे व्यापारी, सरकारी कर्मचारियों के बीच भी केजरीवाल का अर्थशास्त्र अनुकूल रहा।
दिल्ली में केजरीवाल की जीत वैकल्पिक जीत से कहीं ज्यादा इकोनामी की जीत है। राष्ट्रवाद की आर में मोदी की राजनीति और दूसरी तरफ कल्याणकारी योजनाओं तले केजरीवाल की अर्थव्यवस्था ने प्रचंड बहुमत का एहसास करा दिया है। दिल्ली में भाजपा ने हर्षवर्धन और गोयल को दरकिनार कर मनोज तिवारी को आगे लाना भाजपा को घाटे का सौदा साबित हुआ।
शाहीन बाग का प्रयोग खुले तौर पर वोटों के ध्रुवीकरण के लिए किया। भाजपा ने दर्जनभर कैबिनेट मंत्रियों 5 सीएम और 200 से ऊपर सांसदों का दिल्ली की गलियों में घूमना भी केजरीवाल को डिगा नहीं सका। बिजली, शिक्षा, स्कूल, अस्पताल पानी पर खजाने से रुपए लूटाने में भी केजरीवाल ने कोई कोताही नहीं बरती। दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने बहुमत से कहीं अधिक सीटें लाकर कई सारे रिकॉर्ड को तोड़ दिए। इस बीच एक अच्छी खबर भाजपा के लिए भी है कि पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सिर्फ 3 सीटें लाई थी। लेकिन इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 8 सीटें मिली है। दिल्ली के विधानसभा चुनाव आम आदमी पार्टी ने बहुमत से कहीं अधिक बढ़त बनाए रखी। जो अंत तक कायम रही। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में लगातार तीसरी जीत हासिल की है। पार्टी ने जहां भाजपा को बुरी तरह से हराया। वहीं कांग्रेस का खाता तक नहीं खुलने दिया।