अनुभव की बात,अनुभव के साथ।
अब जबकि दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम हमारे सामने हैं।प्रचंड जीत के साथ प्रदेश में एक बार फिर अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी की सरकार बननी तय है।एक बार फिर अरविंद केजरीवाल प्रदेश के मुख्यमंत्री होंगे और मनीष सिसोदिया जैसे काबिल व्यक्ति उनके मंत्रिमंडल के सहयोगी होंगे।आम आदमी पार्टी की गैर पारंपरिक राजनीति ने देश के तमाम राजनीतिक दलों को एक बड़ी सीख दी है,तो इस विधानसभा चुनाव परिणाम ने भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार को सबक।
दिल्ली के करीब दो करोड़ मतदाताओं ने अपने विवेक का परिचय देते हुए भारतीय जनता पार्टी के मंसूबों पर पानी फेर दिया और बता दिया कि लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के मुद्दे अलग होते हैं।दिल्ली की जनता ने यह बता दिया कि यदि बात प्रदेश को चलाने की है तो वो अरविंद केजरीवाल पर ही भरोसा करते हैं।जो केंद्र के असहयोग के बावजूद दिल्ली के विकास की गाथा लिखने में व्यस्त हैं।यह कहना गलत न होगा कि दिल्ली में विकास और सकारात्मक राजनीति की जीत हुई है,जबकि नकारात्मक राजनीति की हार।
अरविंद केजरीवाल की हैट्रिक अपने आप में बेहद खास है।क्योंकि कुछ माह पूर्व हुए लोकसभा चुनाव में दिल्ली की जनता ने ‘आप’ को एक भी सीट नहीं दी थी।अरविंद केजरीवाल के लिए यह जीत काफी अहम है, क्योंकि दिल्ली चुनाव में भाजपा नेतृत्व ने दिल्ली में भाजपा के तमाम दिग्गज नेताओं,सांसदों और मंत्रियों को उतार दिया था।अरविंद केजरीवाल के लिए यह जीत इसलिए भी खास है, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी ने यहां जीत के लिए अपनी सारी ताकत लगा दी थी।आम आदमी पार्टी की जीत इसलिए भी खास है,क्योंकि भारतीय जनता पार्टी के द्वारा मतों के धार्मिक ध्रुवीकरण की कोशिश के बावजूद हर जाति और धर्म के लोगों ने ‘आप’ को वोट दिया।भारतीय जनता पार्टी ने शाहीन बाग प्रकरण पर भरसक दिल्ली में धार्मिक रूप से मतदाताओं को बांटने का प्रयास किया परंतु,यह लोकतंत्र के लिए गर्व की बात है कि दिल्ली की जनता ने भाषण देने वालों को नहीं राशन देने वालों को एक बार फिर से चुना।
आम आदमी पार्टी की जीत की गूंज निःसंदेह अमित शाह और मनोज तिवारी के कानों में गूंज रही होगी। एक और प्रदेश के विधानसभा चुनाव परिणाम ने भाजपा के मंसूबों पर पानी फेर दिया।अरविंद केजरीवाल की झाड़ू ने भारतीय जनता पार्टी की शर्मनाक हालत करके रख दी।पारंपरिक राजनीति से अलग अरविंद केजरीवाल और उसकी टीम ने जिस तरह केंद्र सरकार के असहयोग के बावजूद दिल्ली में आम लोगों के विकास के लिए,बेहतर शिक्षा व्यवस्था,बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था,महिलाओं की सुरक्षा और महंगाई पर काम करते रहे,वो काबिले तारीफ है।निश्चित तौर पर ‘आप’ की सरकार जनता से किए अपने सारे वादे पूरे नहीं कर पाई है। परंतु इसमें कोई शक नहीं कि केजरीवाल की सरकार ने अपने वादों को भरसक पूरा करने का प्रयास किया है।वह भी तब,जबकि उसे केंद्र सरकार का सहयोग नहीं मिला।साथ ही साथ उनकी नवगठित पार्टी को विभिन्न प्रकार से तोड़ने का प्रयास भी किया गया।केजरीवाल के सामने चुनौतियां कम न थी।विरोधी और अपने पार्टी के अंदर का विरोध।परंतु उन्होंने एक नायक की तरह खुद को साबित किया।कई साथियों का साथ छूटा,कई साथी रूठे और कई ने तो अरविंद केजरीवाल पर तरह-तरह के आरोप भी लगाए और भरसक उन्हें बदनाम करने की कोशिश की।बावजूद इन सब के उनके विरोधियों ने भी उनकी ईमानदारी पर उंगली उठाने की हिम्मत नहीं की।
दिल्ली का चुनाव परिणाम काफी कुछ कहता है।’आप’ की जीत ने जहां अरविंद केजरीवाल को एक नई जिम्मेदारी दी है।उम्मीद है वो दिल्ली की जनता की उम्मीदों को और बेहतर तरीके से पूरा करेंगे।इस चुनाव परिणाम से अरविंद केजरीवाल का कद बढ़ा है और उम्मीद है आने वाले वक्त में वो राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय होंगे।इस चुनाव परिणाम ने भारतीय जनता पार्टी को संदेश दिया है कि जनता को काम चाहिए।मनोज तिवारी,गौतम गंभीर जैसे चेहरे या शाहीन बाग जैसे मसले,जनता के लिए मायने नहीं रखते।वहीं कांग्रेस के लिए यह चुनाव परिणाम काफी निराश करने वाला है।कांग्रेस कहीं रेस में भी नजर नहीं आई,न चुनाव प्रचार में न चुनाव परिणाम में।
अरविंद केजरीवाल,उनकी टीम और आप कार्यकर्ताओं को जीत की बहुत-बहुत बधाई।