अनुभव की बात,अनुभव के साथ।
गुरुवार,31 अक्टूबर को देश के प्रथम गृहमंत्री लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पूरे देश में मनाई गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर गुजरात में स्थित सरदार पटेल की भव्य प्रतिमा ‘स्टेचू ऑफ यूनिटी’ पर श्रद्धांजलि अर्पित की।इस अवसर पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के द्वारा किए गए एक ट्वीट ने राजनीतिक संग्राम छेड़ दिया।दरअसल कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने इस अवसर पर ट्वीट कर भारतीय जनता पार्टी पर तंज कसते हुए कहा कि “सरदार पटेल कांग्रेस की विचारधारा के प्रति समर्पित थे।वो आरएसएस के सख्त खिलाफ थे। भाजपा द्वारा उन्हें अपनाने की कोशिश करते देख खुशी होती है। इससे दो चीजें स्पष्ट हैं,पहला उनका अपना कोई स्वतंत्रता सेनानी महापुरुष नहीं है,दूसरा सरदार पटेल जैसे महापुरुष को उनके शत्रु भी नमन करने लगे।”
प्रियंका गांधी द्वारा किया गया ट्वीट पढ़कर कांग्रेस के भविष्य के लिए निराशा होती है।प्रियंका गांधी का यह ट्वीट उनकी हताशा और अपरिपक्वता को दर्शाता है।कांग्रेस नेताओं के द्वारा प्रियंका गांधी को कांग्रेस के भविष्य के रूप में देखा जाता है।उनका यह ट्वीट कतई शोभनीय नहीं है।
सरदार पटेल एक राष्ट्र पुरुष थे।उन्हें किसी विचारधारा में,किसी जाति,धर्म या संप्रदाय में,किसी राजनीतिक दल से बांधना कहीं से भी उचित नहीं है। बात जहां तक स्वतंत्रता सेनानी की है, महापुरुष की है,तो वो किसी दल के नहीं होते,समस्त राष्ट्र के होते हैं।देश के स्वतंत्रता आंदोलन में हर जाति, धर्म,संप्रदाय और विचारधारा के लोगों ने हिस्सा लिया।उन्हें किसी खास विचारधारा या दल से जोड़ना कदापि सही नहीं है।
बात यदि विचारधारा की होती है,तो ऐसा कौन सा राजनीतिक दल है जो अपने विचारधारा से चल रहा है। समाजवाद की विचारधारा आज परिवारवाद बन गई है।जनकल्याण की विचारधारा स्वयं एवं परिजनों के कल्याण की विचारधारा बन गई है।राष्ट्र के उत्थान की विचारधारा,खुद के उत्थान की विचारधारा बन गई है। आज शायद ही ऐसा कोई राजनीतिक दल है जो विचारधारा के हिसाब से चल रहा हो।आखिर भ्रष्टाचार की विचारधारा किस दल की है?फिर भी लगातार भ्रष्टाचार हो रहे हैं।हर दल में हो रहे हैं,हर दल के लोग कर रहे हैं।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी,सरदार बल्लभ भाई पटेल,लाल बहादुर शास्त्री,अब्दुल कलाम और इन जैसे अनेकों महापुरुष,स्वयं ही एक विचारधारा हैं। आवश्यकता है हमें इनके विचारों को अपनाने की,उनके विचारों पर चलने की।ये समस्त राष्ट्र की धरोहर हैं,किसी खास जाति,धर्म,समुदाय,विचारधारा या राजनीतिक दल के नहीं।