मसौढी़ / पटना
रिपोर्टर- अरुण कुमार
इंडिया न्यूज नाउ।
प्रबुद्ध वक्ताओं का संबोधन, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी किया गया आयोजन
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मसौढ़ी के ऐतिहासिक गांधी मैदान में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के लोक संपर्क एवं संचार ब्यूरो, पटना द्वारा आयोजित “गांधी चित्र प्रदर्शनी एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों” का आज दूसरा दिन गांधी के दुर्लभ तस्वीरों और जीवनी पर आधारित प्रदर्शनी को देखने के लिए सैकड़ों की संख्या में लोग शामिल हुए। “महात्मा गांधी की 150वीं जयंती” वर्ष के मौके पर लगाए गए इस चित्र प्रदर्शनी का आयोजन 26 तारीख तक किया जाएगा। कार्यक्रम का संचालन लोक एवं संचार ब्यूरो के सहायक निदेशक श्री एन एन झा एवं क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी पवन कुमार सिन्हा ने किया। साथ ही आरओबी, पटना के क्षेत्रीय प्रचार सहायक नवल किशोर झा भी उपस्थित थे।
कार्यक्रम के दूसरे दिन मुख्य वक्ता के रूप में शामिल गांधीवादी विचारक एवं समाजसेवी तेज नारायण सिंह ने कहा कि गांधी जी ने जब साबरमती में अपना आश्रम बनाने का मन बनाया तो उन्होंने इसके लिए मात्र ₹500 का ही बजट तय किया था। इसके साथ ही उन्होंने कुछ शर्तें भी रखी थी जैसे – किसी भी कमरे से आसमान साफ-साफ दिखे, भूकंप का कोई भी असर ना होने पाए, 10 किलोमीटर के दायरे में आसानी से सामान उपलब्ध हो जाये। जब उनके इस बजट और शर्तों पर कोई भी खड़ा नहीं उतरा तो उन्होंने स्वयं से अपना आश्रम बनाने का ठाना। श्री तेज नारायण सिंह आगे बताते हैं कि गांधी जी ने अपना आश्रम स्वयं बनाया तथा उस पर खर्च होने वाली कुल राशि मात्र 499.50 रुपए थी।
श्री सिंह ने बताया कि ब्रिटेन की संसद में गांधीजी को लेकर तीन बातें बहुत प्रचलित थी – गांधी एक ऐसा शख्स है जो बंदूक से नहीं डरता है, जिसे कोई भी औरत लुभा नहीं सकती है और जिसे कोई भी चीज डरा नहीं सकती है ।
श्री सिंह ने बताया कि गांधी जी ने देश की आजादी में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले पांच महापुरुषों की घोषणा अपने तरीके से की जैसे उन्होंने सुभाष चंद्र बोस को नेताजी कहा, जवाहरलाल नेहरू को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया, बल्लभ भाई पटेल को उन्होंने अपना दिमाग का उत्तराधिकारी कहा, डॉ राजेंद्र प्रसाद को उन्होंने अपने हृदय का उत्तराधिकारी कहा एवं आचार्य विनोवा भावे को उन्होंने अध्यात्म का उत्तराधिकारी कहा।
गांधी के विचारों को प्रस्तुत करने वालों में दूसरे वक्ता के रूप में दूरदर्शन समाचार केंद्र के सहायक निदेशक सलमान हैदर उपस्थित थे उन्होंने कहा कि गांधीजी उन कुछ चुनिंदा विभूतियों में से हैं जिनके जन्म दिन पर उत्सव का आयोजन किया जाता है। यही वजह है कि आज हम गांधीजी की 150वीं जयंती के अवसर पर गांधी उत्सव का आयोजन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गांधी की फिलॉस्फी किसी किसी धर्म के लिए नहीं थी। वह जितना इस्लाम को जानते थे उतना शायद ही कोई इस्लाम को जानता होगा। वह क्रिश्चियनिटी को भी भली-भांति जानते थे। गांधी को किसी एक धर्म में बांधना कतई उचित नहीं होगा।
गांधी एवं स्वच्छता पर अपना विचार प्रस्तुत करते हुए श्री हैदर ने कहा कि गांधी एकमात्र ऐसे पहले शख्स हैं जिसने स्वच्छता को लेकर पहले सबसे खुद को ही उसके लिए समर्पित किया। स्वच्छता को लेकर उनके द्वारा उठाए गए कदम ने लोगों के व्यवहार में परिवर्तन लाया। गांधी जी ने स्वच्छता को वास्तव में देवतुल्य बताया।
श्री हैदर ने कहा कि गांधी जी ने कहा था कि अगर हमें स्वतंत्रता और स्वच्छता मैं अगर किसी को चुनना हो तो मैं सबसे पहले स्वच्छता को चुन लूंगा। गांधीजी के इस विचार से यह बात एकदम साफ होती है कि गांधी स्वच्छता को स्वतंत्रता से ज्यादा कीमती मानते थे। गांधी जी का यह नारा कि देश मैं तब तक स्वच्छता नहीं आ सकती जब तक कि हर व्यक्ति के हाथ में झाड़ू और बेलचा हो।
अन्य वक्ता के रूप में नगर परिषद मसौढ़ी के कार्यपालक पदाधिकारी किशोर कुणाल ने कहा कि इस कार्यक्रम का वही उद्देश्य है जो गांधी जी का था वह है स्वच्छता ही सेवा और विराम गांधीजी स्वच्छता को हमेशा ऊपर रखते थे। अपने स्कूल के दिनों को याद करते हुए श्री कुणाल ने बताया कि सरकारी विद्यालयों में तब प्रतिदिन सफाई के लिए दो बच्चों को कक्षाओं में लगाया जाता था। उन दोनों बच्चों के ऊपर ही क्लास की साफ सफाई की जिम्मेदारी होती थी। प्रतिदिन अलग-अलग बच्चों को यह काम सौंपा जाता था। आज हमें पता नहीं लेकिन एक बात तो सही है कि वह पहल जो छात्रों के द्वारा कक्षा को साफ रखने में की जाती थी वह निश्चित ही उन्हें स्वच्छता और स्वच्छ रहने का ज्ञान प्रदान करती थी।
कार्यक्रम के दूसरे दिन भी प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता के दौरान गांधी जी से संबंधित प्रश्नों के सही जवाब देने वाले प्रतिभागियों को मंच से पुरस्कृत किया गया। जागृति कला मंच द्वारा गीत एवं नाटक जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों का मंचन किया गया।
इस कार्यक्रम में सहभागी के रूप में शामिल आईसीडीएस के स्टॉल पर गर्भवती एवं प्रसूति महिलाओं का वजन लिया गया तथा साथ ही प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना तथा कन्या उत्थान योजना का आवेदन भरवाया गया।