मसौढी़ /पटना
रिपोर्टर – अरुण कुमार
इंडिया न्यूज नाउ ।
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कला एवं संस्कृति मंत्री श्री प्रमोद कुमार ने किया उद्घाटन, स्वच्छता पदयात्रा को दिखाई हरी झंडी ।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार के लोक संपर्क एवं संचार ब्यूरो, पटना द्वारा “महात्मा गांधी की 150वीं जयंती” वर्ष के अवसर पर आज मसौढ़ी के ऐतिहासिक गांधी मैदान में “गांधी चित्र प्रदर्शनी एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम” का शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन श्री प्रमोद कुमार, माननीय कला एवं संस्कृति मंत्री बिहार सरकार द्वारा किया गया। इस दौरान मंच पर श्री संजय कुमार, अनुमंडल पदाधिकारी; श्री विजय कुमार, निदेशक, लोक संपर्क एवं संचार ब्यूरो, पटना; श्री दिनेश कुमार निदेशक, पीआईबी, पटना; आर ओ बी के सहायक निदेशक श्री एन एन झा, क्षेत्रीय प्रसार अधिकारी, श्री पवन कुमार सिन्हा, श्री सर्वजीत सिंह , क्षेत्रीय प्रचार सहायक और श्री नवल झा, क्षेत्रीय प्रचार सहायक मौजूद थे। कार्यक्रम की शुरुआत महात्मा गांधी के भजन ‘वैष्णव जन’ से किया गया।
कला एवं संस्कृति मंत्री ने कार्यक्रम उद्घाटन से पूर्व लोक संपर्क एवं संचार ब्यूरो, पटना द्वारा गांधी जी की जीवन पर आधारित लगाए गए फोटो प्रदर्शनी का उद्घाटन फीटा काटकर किया। यह फोटो प्रदर्शनी अपने आप में अभूतपूर्व थी। इसमें गांधीजी की उन तमाम तस्वीरों को प्रदर्शित किया गया था, जो आज के समय में बेहद दुर्लभ है। इस प्रदर्शनी में गांधी जी के बिहार दौरे की भी तस्वीरों को स्थान दिया गया था। इस प्रदर्शनी में मसौढ़ी में तत्कालीन दंगे के दौरान गांधी के बिहार आगमन की कुछ दुर्लभ तस्वीर भी लगाई गई है।
कार्यक्रम के उद्घाटन के दौरान मंत्री प्रमोद कुमार ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि मैं केंद्र की मोदी सरकार को कोटि-कोटि धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने गांधी जी के डेढ़ सौ जयंती वर्ष के मौके पर पूरे देश भर में गांधी चित्र प्रदर्शनी व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करवा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह गांधीजी का ही विचार था कि देश स्वच्छ और सुंदर बने। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने गांधी जी के इन्हीं विचारों के साथ आगे बढ़ते हुए स्वच्छता को अपना मूल उद्देश्य बना लिया है।
श्री कुमार ने कहा कि महात्मा गांधी ने सात संदेश दिए हैं जिस पर दुनिया आज विचार कर रही है। स्वचछ्ता के विषय को लेकर हमारी केंद्र की सरकार काफी कुछ प्रगतिशील कदम उठा रही है। गांधी जी ने कहा था की आजादी और स्वच्छता में से हमें प्राथमिकता के स्तर पर यदि चुनना हो तो हम स्वच्छता को प्राथमिकता देंगे।
कला एवं संस्कृति मंत्री ने हरी झंडी दिखाकर स्वच्छता पदयात्रा को रवाना किया। स्वच्छता पदयात्रा का मुख्य उद्देश्य एवं नारा था- “स्वच्छता का है नारा, प्लास्टिक मुक्त मसौढ़ी हमारा। स्वच्छता पदयात्रा कार्यक्रम स्थल गांधी मैदान से शुरू होकर वीर कुंवर सिंह स्मारक तक किया गया। समापन स्थल पर वीर कुंवर सिंह की प्रतिमा पर अधिकारियों समाजसेवियों ने माल्यार्पण भी किया । पदयात्रा के दौरान मसौढ़ी के अनुमंडल पदाधिकारी सहित लोक संपर्क एवं संचार ब्यूरो के अधिकारीगण एवं मसौढ़ी की सैकड़ों जनता,छात्र -छात्राएं शामिल हुई। पदयात्रा में सड़कों पर प्लास्टिक पॉलिथीन एवं अन्य कूड़े कचरे को लोगों ने अपने हाथ से उठा कर डस्टबिन में डाला। यह पदयात्रा अपने कार्यक्रम स्थल से शुरू होकर मसौढ़ी बाजार से होते हुए करीब 4 किलोमीटर दूरी का सफर तय कर अपने समापन स्थल पर पहुंची। भीड़ में पदयात्रा के साथ चलने वालों में आम जनों के साथ-साथ स्कूली छात्र-छात्राएं भी रही। इस पदयात्रा का एक आकर्षण यह भी था कि स्कूली छात्र गांधी जी के वेश में पदयात्रा कर रहे थे और सैकड़ों की हजूम उनके पीछे चल रही थी।
मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए मसौढ़ी के जाने-माने समाजसेवी ,एवं साहित्यकार श्री सिद्धेश्वर नाथ पांडे ने कहा की गांधीजी हिंदू या मुसलमान के नहीं थे बल्कि गांधीजी सभी के थे और वह इंसानियत के पुजारी थे। जब मसौढ़ी दंगा अपने उफान पर था तब उस दंगे को शांत करने के लिए गांधीजी मसौढ़ी आए थे और यहां हो रहे दंगे को उन्होंने शांत किया था। गांधीजी के इस कदम के बाद वहां दंगा पूरी तरह शांत हो गया था और उसके बाद दंगा नहीं हुआ।
साहित्यकार श्री सिद्धेश्वर जी बताते हैं कि जब मसौढ़ी में दंगा अपने उफान पर था तो उस वक्त पास के ही पुनपुन के रहने वाले कई मुसलमान परिवार किसी और जगह पर भाग जाने की तैयारी कर रहे थे। लेकिन गांधीजी के मसौढ़ी आगमन और उसके बाद उनके द्वारा किए गए प्रयासों तथा पुनपुन के मुसलमानों से आग्रह करने के बाद कि वह बिल्कुल भी भयभीत ना हो, वे यहां सुरक्षित हैं और वे अपने मूल निवास पर ही रहे, वापस आ जाएं। गांधी जी के इस घोषणा के बाद मुसलमान पुनपुन वापस आ गए और वहां शांति कायम रही।
श्री सिद्धेश्वर नाथ ने कहा कि सदियों में ऐसा कोई मसीहा पैदा होता है और अब तक वह केवल गांधी ही हैं। वह बताते हैं कि मसौढ़ी को किसी और ने नहीं बल्कि हिंदू और मुसलमानों ने मिलकर बनाया। यहां के कई ऐसे मंदिर हैं जो मुसलमानों ने अपने हाथों से बनाया है और साथ ही कई ऐसे मस्जिद भी हैं जिसका निर्माण हिंदुओं ने किया है। गांधीजी की नजरों में मसौढ़ी निश्चित ही सांप्रदायिक सौहार्द का एक केंद्र बिंदु था।
आज के विशेष वक्ता के रूप में एनएन सिन्हा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस के पूर्व निदेशक डीएम दिवाकर भी मौजूद थे। उन्होंने जनता को संबोधित करते हुए कहा कि आज के समय में गांधी को समझना मुश्किल ही नहीं बल्कि बेहद कठिन है। वह गांधी जो चंपारण आता है और धोती धारण करता है, वह गांधी जो मुंगेर जाता है और लाठी थामता है, वह गांधी आज के समय में ढूंढना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि गांधी अपने कर्म, अपने विचार और अपनी वाणी में एक थे। वे तीनों गुणों में एकरूप थे, उनमें कोई फर्क नहीं था। आज पूरा देश गांधी उत्सव मना रहा है लेकिन दुर्भाग्य है कि गांधी कहीं नहीं है। उन्होंने बताया कि गांधी जी ने लोगों को जंतर दिया था लेकिन वह आज लोगों को याद नहीं है। उन्होंने कहा कि गांधीजी के जंतर से भी क्या कोई और बेहतर तरीका हो सकता है कि लोग खुद को जान सके।
श्री डीएम दिवाकर ने अहिंसा, सत्य, अस्तेय, अपरिग्रह, श्रम के प्रति आदर, स्वदेशी आचरण, छुआछूत को खत्म करना, सभी धर्मों में समानता, भय का वातावरण नहीं होना सरिके गांधी जी द्वारा मनुष्य के निर्माण के लिए बताई गई 11 बातों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहां की गांधी एक ऐसा गांव चाहते थे जहां मनुष्य की सभी जरूरतें, सारी चीजें सुगमता से उपलब्ध हो जाए और मनुष्य अपना पूर्ण विकास कर सकें। लेकिन आज हम गांधी के इस गांव को कहीं नहीं देखते हैं। उन्होंने कहा कि स्वदेशी, स्वावलंबन और गांव की खुशहाली में ही गांधी है। हमारा देश गांव में बसता है, गांव खुशहाल होगा तो देश खुशहाल होगा। जिस ग्राम स्वराज की बात गांधी करते थे वह स्वराज हमें ढूंढना है।
श्री दिवाकर ने कहा कि एक गांधी थे जो किसानों के दुख दर्द को देखने के लिए चंपारण पहुंचे थे लेकिन आज बेहद खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि किसानों के आंदोलन में आज कोई भी नेता नहीं जाता है। उन्होंने कहा कि नौकरशाही का विस्तार तो पंचायत तक हो गया है लेकिन आज तक ग्राम का विकास कहां हुआ है। श्री दिवाकर ने कहा कि गांधी तकनीक के खिलाफ नहीं थे। इसका एक बेहतरीन उदाहरण यह है कि गांधी जिस घड़ी को अपने कमर में लगाकर चलते थे वह घड़ी जर्मनी की बनी हुई थी। गांधी उस तकनीक के खिलाफ हैं जिससे लाखों लोग बेरोजगार हो जाएं।
वक्ताओं के संबोधन के उपरांत लोक संपर्क एवं संचार ब्यूरो द्वारा प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें सही जवाब देने वाले प्रतिभागियों को उसी वक्त मंच से पुरस्कृत किया गया है।
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण सांस्कृतिक कार्यक्रम रहा। जागृति कला मंच द्वारा सुशील कुमार सिंह के लिखित “गांधी की हत्या हज़ारवीं बार” नाटक का मंचन किया गया। इसके साथ ही कलाकारों द्वारा गांधी जी से संबंधित गीत भी प्रस्तुत किए गए।
कार्यक्रम स्थल पर प्रकाशन विभाग, जीविका, कृषि विभाग स्वास्थ्य विभाग जैसे करीब 10 स्टॉल लगाए गए हैं जहां भारी संख्या में लोग सरकार की योजनाओं से अवगत हो रहे हैं और साथ ही वर्तमान में सरकार के द्वारा चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त कर रहे हैं।
यहां कार्यक्रम स्थल पर पर आईसीडीएस द्वारा अन्नप्राशन ऐवं गोद भराई का आयोजन किया गया। लोक संपर्क एवं संचार ब्यूरो के निदेशक श्री विजय कुमार तथा पत्र सूचना कार्यालय के निदेशक श्री दिनेश कुमार ने नवजात शिशु को मुंह जूठी अन्नप्राशन संस्कार को संपन्न किया।