डॉ. संजय,इंडिया न्यूज नाउ।
मांडर ,रांची ।
आदिवासी परंपरा और संस्कृति को हम सभी को मिलकर सहेजना है ताकि यह परंपरा और संस्कृति अछून्न रहे। ऐतिहासिक मुड़मा जतरा समापन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मंगलवार की शाम मुड़मा में मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि हम जो कहते हैं उसे करते भी हैं। हमने इसी मंच से घोषणा की थी कि मुड़मा जतरा को राजकीय जतरा का दर्जा दिया जाएगा और हमारी सरकार ने इसकी अधिसूचना जारी भी कर दी है। यह नई पीढ़ी की भी जिम्मेवारी है कि अपनी संस्कृति को सहेज कर रखें जिससे इसे आनेवाली पीडी को हस्तांतरित किया जा सके। 2014 से पहले के इस जतरा-स्थल और वर्त्तमान में काफी अंतर आया है, आनेवाले समय में इस ऐतिहासिक जतरा-स्थल का विकास देखने लायक होगा। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मांडर विधायक गंगोत्री कुजूर ने कहा कि यहां आदिवासी समुदाय सदियों से चली आ रही संस्कृति का पालन करते आ रहे हैं। देश विदेश के लोग इस जतरा में आते हैं। विगत 5 वर्ष से स्वच्छ वातावरण में मेला का संचालन हो रहा है। सरकार ने इस जतरा के विकास का काफी कार्य किया है। इससे पूर्व जतरा-स्थल पहुंचे मुख्यमंत्री ने धर्मगुरु बंधन तिग्गा के साथ मिल शक्ति-खूंटा की पूजा-अर्चना की। उन्होंने कहा कि इस पवित्र स्थल पर शीश नवा हम पूरे राज्य के सुख और समृद्धि की कामना करते हैं। मौके पर धर्मगुरु बंधन तिग्गा, जतरा संचालन समिति के अध्यक्ष जगराम उरांव, समाजसेवी बाबू पाठक, रँथु उरांव, अनिल उरांव, सुदीप तिग्गा सहित अन्य मौजूद थे।
जतरा में पुलिस प्रशासन , ट्रेफिक पुलिस , महिला पुलिस , सेल्फ डिफेंस , छात्र संघ एवं सरना स्वयंसेवक लगे थे शांति व्यवस्था में !
ड्रोन , सीसीटीवी व वाच टावर से नजर रखी जा रही थी ।
कृषि उपयोगी , गृह उपयोगी , सौंदर्य प्रशाधन , मिठाइयाँ , खिलौने , अस्त्र , मच्छ्ली जाल , ढोल , नगाड़े , मांदर , कुमनि , सहित मनोरंजन के लिए बिजली चालित झूले , सर्कस , मौत का कुँआ , ब्रेक डांस आदि की भरमार थी ।
इस जतरा की सर्वाधिक लोकप्रिय कचरी , हढुवा व कतारी (ईख )की बिक्री चरम पर रही ।