{प्रतिमा अनावरण के मौके पर विशेष आलेख}
इंडिया न्यूज नाऊ/मोतिहारी/मधुरेश
“कौन कहता है कि आसमान में सुराग नहीं हो सकता, एक पत्थर तो जरा तबीयत से उछालो यारों”………
सन 1967 में इस उक्ति को अक्षरशः चरितार्थ कर दिखाया था तत्कालीन सांसद कमला मिश्र मधुकर ने. पूर्वी चंपारण जिले के सुदूरवर्ती कल्याणपुर प्रखंड के मदन सिरसिया गांव में प्रतिष्ठित किसान बालदेव मिश्र के घर सन 1927 में जन्में पूर्व सांसद स्व.कमला मिश्र मधुकर का पूरा जीवन संघर्षों के बीच आम जनता को समर्पित रहा है. खेलने-कुदने की महज सात वर्ष की उम्र में ही वे सामाजिक कार्यों एवं आंदोलनों में सक्रिय हो गये थे. पिछड़ी हुई सामाजिक परंपराओं एवं अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ राष्ट्रीय झंडा फहराने को लेकर पहली बार सात वर्ष की उम्र में अपने सहपाठियों के साथ आंदोलन करने वाला छोटा बालक एक दिन सांसद बनकर चंपारण और बिहार का नाम रौशन करेगा ये तो उस समय किसी को पता नहीं था. लेकिन, छोटे बालक मधुकर की गतिविधियों को देखकर उस जमाने के बुजुर्ग अक्सर यह कहा करते थे कि बालदेव मिश्र का यह होनहार पुत्र एक न एक दिन नेता जरूर बनेगा. उन बुजुर्गों की भविष्यवाणी सत्य साबित हुई और एक बार की बात कौन कहे कमला मिश्र मधुकर चार-चार बार संसदीय चुनाव में जीत दर्ज कर केसरिया और मोतिहारी से लोकसभा के सांसद बने।
पूर्व सांसद स्व.मधुकर व्यवस्था परिवर्तन में विश्वास करने वाले कम्युनिस्ट जननेता थे. उस जमाने में भूमिहीन श्रमिकों पर हो रहे सामाजिक अत्याचार को लेकर आंदोलन की शुरुआत स्व.मधुकर ने अपने ही घर से की थी. उस समय उन्होंने अपने पिता के खिलाफ ही आंदोलन का बिगुल फूंक दिया थि. देश की आजादी के समय सन 1947 में स्व.मधुकर सीपीआई से जुड़कर राजनीति की मुख्यधारा में आ गये. एक बार अपने माथे में लाल झंडे की पगड़ी बांधने वालेे कमला मिश्र मधुकर आजीवन लाल झंडा के सिपाही बने रहे. सांसद होने का तनिक भी घमंड उन्हें नहीं था. घुड़सवारी एवं कुश्ती के शौकीन कमला मिश्र मधुकर कला, संगीत, साहित्य, वेद, पुराण, उपनिषद, रामायण एवं महाभारत के भी अच्छे जानकार थे. स्व. मधुकर का ज्यादातर समय आंदोलनों में ही व्यतीत होता था. गरीबों के बीच गरीबों का होकर रहने वाले कमला मिश्र मधुकर सन 1967 में पहली बार तत्कालीन केसरिया लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी के भीष्म प्रसाद यादव को हराकर सांसद बने. सन 1967 से 1991के बीच वे चार बार सांसद बने. सांसद रहते वे लोकसभा की कई समितियों के सदस्य रहे. दुनियाभर के अनेक देशों का दौरा कर वहां के लोकतांत्रिक व्यवस्था का उन्होंने अध्ययन भी किया. स्वच्छ छवि के ईमानदार जननेता कमला मिश्र मधुकर कभी भी धन अर्जित करने के चक्कर में नहीं पड़े. उन्होंने अपना सर्वस्व चंपारण की जनता के लिए न्योछावर कर दिया.सूबे बिहार की राजनीति में वे सादगी के लिए आजीवन मशहूर रहे. और तो और चार बार सांसद के पद पर रहने या उसके बाद अपने लिए एक गाड़ी भी वे नहीं खरीद सके. जिले के ग्रामीण इलाके में शिक्षा की तरक्की के लिए उन्होंने अविस्मरणीय कार्य किया. अपने पैतृक गांव मदन सिरसिया एवं बगल के पंचायत दिलावरपुर में उन्होंने हाईस्कूल की स्थापना कराई. चकिया में डिग्री कॉलेज की स्थापना में भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई.
कम्युनिस्ट आंदोलन के झंडाबरदार रहे कमला मिश्र मधुकर का जीवन अपनी पार्टी की विचारधारा एवं जनता की समस्याओं के सामाधान के लिए समर्पित था. पीबी नरसिंह राव की सरकार के दौरान बिहार के हाजीपुर से सुगौली भया साहेबगंज-केसरिया नई रेल लाइन के निर्माण की मांग लोकसभा के पटल पर रखने के दौरान संसद में ही तत्कालीन रेलमंत्री सी.के.जाफरशरीफ से मधुकर जी भीड़ गये थे. उन्होंने अपनी मांग के समर्थन में उस समय केन्द्र सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया था. मुजफ्फरपुर-नरकटियागंज रेल लाइन के अमान परिवर्तन भी उन्हीं के संघर्षों का परिणाम है. बिहार-यूपी की सीमा पर गंडक नदी में सड़क एवं रेलपुल के निर्माण में भी उनकी सराहनीय भूमिका रही. जनता और उसकी समस्याओं के सामने उन्होंने कभी भी अपने परिवार और रिश्तेदारों को उन्होंने कोई तरजीह नहीं दी. अपने किसी निकट सहयोगी या परिजनों के लिए अपने सांसद पद का उपयोग उन्होंने कभी नहीं किया. जरुरतमंद गरीबों को उनका वाजिब हक दिलाने और सैकड़ों बेरोजगारों को रोजगार दिलाने वाले पूर्व सांसद कमला मिश्र मधुकर भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन, उनके द्वारा किए गये कार्यों को चंपारणवासी शिद्दत से याद करते हैं.
पूर्व सांसद स्व.मधुकर की राजनीतिक विरासत को उनकी छोटी पुत्री शालिनी मिश्रा अपनी माता श्रीमति डॉ.कामना मिश्रा के कुशल निर्देशन में बखूबी संभाल रही है.
स्व.पूर्व सांसद की आदमकद प्रतिमा का अनावरण और स्मारक भवन का उद्घाटन रविवार को सीएम नीतीश कुमार एवं विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी के हाथों होना है. इस पावन अवसर पर स्व.मधुकर के सैकड़ों सहयोगियों को भी सम्मानित किये जाने की तैयारी है.जन आंदोलनों के झंडाबरदार रहे पूर्व सांसद स्व. मधुकर अपनी ईमानदारी और जनता के प्रति समर्पण के लिए हमेशा याद किए जायेंगे. चंपारण की शोषित, पीड़ित, उपेक्षित, जरुरतमंद गरीब जनता के सच्चे रहनुमा सूबे बिहार के स्वच्छ छवि के लोकप्रिय जननेता पूर्व सांसद स्व.कमला मिश्र मधुकर को प्रतिमा अनावरण की पूर्व संध्या पर कोटिशः नमन.