विवेक यादव,इंडिया न्यूज नाउ।
पितृपक्ष 2019 समापन की ओर, जानिए बाकी बचे तीन दिन में किसका कर सकते हैं श्राद्ध :
पितृपक्ष अब समापन की ओर है। शनिवार (28 सितंबर) को अमावस्था तिथि के साथ ही इसका समापन हो जाएगा। ऐसे में जानिए, इन दिनों में किसका करें श्राद्ध…
पितृपक्ष का समापन अगले दो दिन में 28 सितंबर को अमावस्या तिथि के साथ हो जाएगा। इस बार पितृपक्ष का समापन शनिवार को हो रहा है। ऐसे में 20 साल बाद ऐसा अनोखा संयोग बन रहा है जब पितृपक्ष और शनिवार एक साथ पड़ रहे हैं। इससे पहले ये संयोग 1999 में बना था। मान्यता है कि शनिवार को पड़ने वाली अमावस्या का बहुत महत्व है। इस दिन पितरों की विदाई होती है।
ऐसे में इस दिन (अमावस्या तिथि) उन सभी ज्ञात और अज्ञात पितरों का श्राद्ध और तर्पण इस दिन किया जा सकता है जिनका श्राद्ध करना आप भूल गये या किसी कारणवश नहीं कर सके। वैसे, अमावस्या से पहले आखिरी दो दिन त्रयोदशी और चतुर्दशी भी बहुत महत्वपूर्ण है।
सर्व पितृ अमावस्या को महालया अमावस्या , के नाम से भी जाना जाता है !
भाद्रपद पूर्णिमा के दिन पितृ पक्ष की शुरुआत होने पर पितर धरती पर आते हैं और सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण कर उन्हें धरती से विदा किया जाता है. इस अमावस्या के साथ ही पितृ पक्ष समाप्त हो जाता है और अगले दिन से शारदीय नवरात्र लग जाते हैं.
सर्व पितृ अमावस्या के दिन ज्ञात और अज्ञात पितरों का श्राद्ध करने की भी परंपरा है.
सर्व पितृ अमावस्या कब है ??
हिन्दू पंचांग के अनुसार अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को सर्व पितृ अमावस्या कहा जाता है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह अमावस्या हर साल सितंबर या अक्टूबर के महीने में आती है. इस बार सर्व पितृ अमावस्या 28 सितंबर को है.
सर्व पितृ अमावस्या तिथि और श्राद्ध कर्म मुहूर्त :
सर्वपितृ अमावस्या तिथि: 28 सितंबर 2019
अमावस्या तिथि आरंभ: 28 सितंबर 2019 को सुबह 03 बजकर 46 मिनट से
अमावस्या तिथि समाप्त: 28 सितंबर 2019 को रात 11 बजकर 56 मिनट तक
कुतुप मुहूर्त: 28 सितंबर 2019 को सुबह 11 बजकर 48 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक
रोहिण मुहूर्त: दोपहर 12 बजकर 35 से दोपहर 01 बजकर 23 मिनट तक
अपराह्न काल: दोपहर 01 बजकर 23 मिनट से दोपहर 03 बजकर 45 मिनट तक !
पहले इनका श्राद्ध कर्म करने से पित्रों की अतृप्त आत्माओं को मिल जाती है मुक्ति :
तर्पण विधि मंत्र :
पितृ पक्ष में पितरों से पहले इनकों तर्पण देने से भूत-प्रेत योनी में भटक रही आत्माओं को मुक्ति मिल जाती है :
हिन्दू धर्म शास्त्रों में ऐसी मान्यता हैं कि पितृ पक्ष में अपने पूर्वज पितरों का श्राद्ध कर्म करने के पहले इन पांच शक्तियों को तर्पण देना चाहिए।
ऐसे दिवंगत पितर जिनकी आत्मा अतृप्त है, मुक्ति नहीं मिल पाई हो, या फिर प्रेत योनी में भटक रही हो तो इन पांच को पहले श्राद्ध करने से उनकी भटकती आत्माओं को मोक्ष-मुक्ति मिल जाती है। इसलिए पितृ पक्ष में इन्हीं को पहले श्राद्ध करने का विधान है। ये हैं पांच शक्तियां जिन्हें पहले तर्पण आदि करना चाहिए।
इन पांच को करें पहले तर्पण :
श्राद्ध पक्ष में अपने पूर्वज पितरों का तर्पण करने से पहले- देवता, ऋषि, दिव्य मनुष्य, दिव्य पितृ एवं मृत्यु के देवता यमराज इन पांचों को श्रद्धा पूर्वक नीचे दिये मंत्रों का उच्चारण करते हुए तर्पण करने से भूत-प्रेत योनी में भटक रही अतृप्त आत्माओं को मुक्ति मिल जाती हैं ।
1- इन मंत्रों का उच्चारण करते हुए अपने घर या नदी, तालाब पर भी देवतर्पण करके देवताओं को तर्पण दिया जा सकता है।
ॐ ब्रह्मा तृप्यताम् ॐ । ॐ विष्णुस्तृप्यताम् ॐ । ॐ रुद्रस्तृप्यताम् ॐ । ॐ प्रजापतिस्तृप्यताम् ॐ । ॐ देवास्तृप्यन्ताम् ॐ । ॐ छन्दांसि तृप्यन्ताम् ॐ । ॐ वेदास्तृप्यन्ताम् ॐ । ॐ ऋषयस्तृप्यन्ताम् ॐ । ॐ पुराणाचार्यास्तृप्यन्ताम् ॐ । ॐ गन्धर्वास्तृप्यन्ताम् ॐ । ॐ इतराचार्यास्तृप्यन्ताम् ॐ । ॐ संवत्सररू सावयवस्तृप्यताम् ॐ । ॐ देव्यस्तृप्यन्ताम् ॐ । ॐ अप्सरसस्तृप्यन्ताम् ॐ । ॐ देवानुगास्तृप्यन्ताम् ॐ । ॐ नागास्तृप्यन्ताम् ॐ । ॐ सागरास्तृप्यन्ताम् ॐ। ॐ पर्वतास्तृप्यन्ताम् ॐ । ॐ सरितस्तृप्यन्ताम् ॐ । ॐ मनुष्यास्तृप्यन्ताम् ॐ । ॐ यक्षास्तृप्यन्ताम् ॐ । ॐ रक्षांसि तृप्यन्ताम् ॐ। ॐ पिशाचास्तृप्यन्ताम् ॐ। ॐ सुपर्णास्तृप्यन्ताम् ॐ। ॐ भूतानि तृप्यन्ताम् ॐ। ॐ पशवस्तृप्यन्ताम् ॐ। ॐ वनस्पतयस्तृप्यन्ताम् ॐ। ॐ ओषधयस्तृप्यन्ताम् ॐ । ॐ भूतग्रामश्चतुर्विधस्तृप्यताम् ॐ।
अगर आप पितृ पक्ष में श्राद्ध करने वाले हैं तो, इन 10 बातों का पालन करना नहीं भूले :
2- ऋषितर्पण-
इन मंत्रों का उच्चारण करते हुए ऋषियों के लिए तर्पण करें- एक-एक अञ्जलि जल दें—
ॐ मरीचिस्तृप्यताम् ॐ । ॐ अत्रिस्तृप्यताम् ॐ। ॐ अङ्गिरास्तृप्यताम् ॐ। ॐ पुलस्त्यस्तृप्यताम् ॐ। ॐ पुलहस्तृप्यताम् ॐ। ॐ क्रतुस्तृप्यताम् ॐ। ॐ वसिष्ठस्तृप्यताम् ॐ। ॐ प्रचेतास्तृप्यताम् ॐ। ॐ भृगुस्तृप्यताम् ॐ। ॐ नारदस्तृप्यताम् ॐ ॥
3- दिव्य मनुष्य तर्पण –
इन मंत्रों का उच्चारण करते हुए दिव्यमनुष्यों के लिए तर्पण करें-
ॐ सनकस्तृप्यताम् ॐ ॥2॥ ॐ सनन्दनस्तृप्यताम् ॐ ॥2॥ ॐ सनातनस्तृप्यताम् ॐ ॥2॥ ॐ कपिलस्तृप्यताम् ॐ ॥2॥ॐ आसुरिस्तृप्यताम् ॐ ॥2॥ ॐ वोढुस्तृप्यताम् ॐ ॥2॥ ॐ पञ्चशिखस्तृप्यताम् ॥2॥
4- दिव्य पितृ तर्पण-
इन मंत्रों का उच्चारण करते हुए दिव्य पितरों के लिए तर्पण करें-
ॐ कव्यवाडनलस्तृप्यताम् इदं सतिलं जलं गङ्गाजलं वा) तस्मै स्वधा नम: ॐ ॥3॥
ॐ सोमस्तृप्यताम् इदं सतिलं जलं गङ्गाजलं वा) तस्मै स्वधा नम: ॐ ॥3॥
ॐ यमस्तृप्यताम् इदं सतिलं जलं गङ्गाजलं वा) तस्मै स्वधा नम: ॐ ॥3॥
ॐ अर्यमा तृप्यताम् इदं सतिलं जलं गङ्गाजलं वा) तस्मै स्वधा नम: ॐ ॥3॥
ॐ अग्निष्वात्ता: पितरस्तृप्यन्ताम् इदं सतिलं जलं गङ्गाजलं वा) तेभ्य: स्वधा नम: ॐ ॥3॥
ॐ सोमपा: पितरस्तृप्यन्ताम् इदं सतिलं जलं गङ्गाजलं वा) तेभ्य: स्वधा नम: ॐ ॥३॥
ॐ बर्हिषद: पितरस्तृप्यन्ताम् इदं सतिलं जलं गङ्गाजलं वा) तेभ्य: स्वधा नम: ॐ ॥३॥
5- यमतर्पण-
मृत्यु के देवता यमराज के लिए इन मंत्रों का उच्चारण करते हुए तर्पण करें-
ॐ यमाय नम: ॐ ॥3॥
ॐ धर्मराजाय नम: ॐ ॥3॥
ॐ मृत्यवे नम: ॐ ॥3॥
ॐ अन्तकाय नम: ॐ ॥3॥
ॐ वैवस्वताय नमः ॐ ॥3॥
ॐ कालाय नम: ॐ ॥3॥
ॐ सर्वभूतक्षयाय नम: ॐ ॥3॥
ॐ औदुम्बराय नम: ॐ ॥3॥
ॐ दध्नाय नम: ॐ ॥3॥
ॐ नीलाय नम: ॐ ॥3॥
ॐ परमेष्ठिने नम: ॐ ॥3॥
ॐ वृकोदराय नम: ॐ ॥3॥
ॐ चित्राय नम: ॐ ॥3॥
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शुभ प्रभात , मित्रों
!!! प्रणाम !!!
मानसपुत्र संजय कुमार झा … … …