संजीव मिश्रा, वरीय संवाददाता ।
भागलपुर ।
इंट्रो :ज्ञात हो कि पूरे देश मे एक सेप्टेम्बर से मोटर अधिनियम लागू हो चुका है । आखिर इसमें इतनी बड़ी कॉन्ट्रोवर्सी क्यों?
सबौर,भागलपुर । ज्ञात हो कि चालान को लेकर पूरे देश में एक बहश छिड़ गई है।
हर तरफ अफरा तफरी मची हुई है ,लागातर पुलिस पब्लिक के बीच नोक झोंक की खबरें आ रही है अब हम बात करते सिल्क नगरी भागलपुर में चालान की घटना की।
पुलिस ने 12वीं के एक नाबालिग छात्र के मां-बाप का 42 हजार रुपये का चालान काटा है।
कचहरी चौक पर एमवीआई विनय शंकर तिवारी ने चेकिंग के दौरान जीरोमाइल की चाणक्य विहार कॉलोनी के रहने वाले 15 साल के किशोर को उसके दो दोस्तों के साथ स्कूटी से जाते हुए पकड़ा था।
पकड़े जाते ही उसने तत्काल अपने दोस्त के हाथ से हेलमेट पहन लिया। उससे जब फाइन जमा करने को कहा गया तो वह उलझने लगा। किशोर के पास पास गाड़ी के कागजात भी नहीं थे। तभी पुलिस ने 42 हजार रुपये का फाइन लगाया,
जिसे किशोर के अभिभावक से वसूला जाएगा। बता दें कि स्कूटी इसी साल 28 अगस्त को खरीदी गई थी, जिसकी कीमत 56 हजार 127 रुपये है।
एमवीआई ने नाबालिग को फाइन जमा करने को कहा तो उसने कहा कि उसके पिता फौज में हैं। वह हैदराबाद में रहते हैं। वह यहां अकेले रहता है। विभाग ने उसकी स्कूटी और कागजात जब्त कर लिए हैं। एमवीआई ने बताया कि छात्र के आईकार्ड की जांच में पता चला कि उसकी उम्र 15 साल है। मोटर वाहन अधिनियम के छह सेक्शन में उसे 42 हजार रुपए फाइन किया गया है।
उसके अभिभावक गाड़ी का रजिस्ट्रेशन का पेपर देंगे तो पांच हजार का फाइन कम हो जाएगा।
चालान के कारण और जुर्माना, नाबालिग होने के बावजूद वाहन चलाना- 25,000 रुपये, दूसरे की गाड़ी चलाना- 5,000 रुपये, ड्राइविंग लाइसेंस नहीं होना- 5,000 रुपये, RC नहीं होना- 5,000 रुपये, हेलमेट नहीं पहनना- पर 1000, ट्रिपलिंग- 1,000 रुपयेनए नियम में नाबालिग के गाड़ी चलाने पर 25 हजार रुपया फाइन और 3 साल की सजा का प्रावधान है।
वाहन का रजिस्ट्रेशन रद्द हो सकता है। इसके अलावा गाड़ी के मालिक और अभिभावक दोषी माने जाएंगे। साथ ही नाबालिग को 25 साल की उम्र तक गाड़ी चलाने का लाइसेंस नहीं दिया जाएगा।
सवाल यह है कि आखिर अब अपने आपको चालक अपराधी क्यों मानने लगे है, वो गाड़ी भी चलाते तो डर डर के,आखिर इतना ख़ौफ़ पुलिस रेपिस्ट के मन मे क्यो नहीं पैदा कर पाई, आखिर डर उनके मन मे क्यो नही है । क्या इतना भाड़ी भरकम चालान जायज है ? क्या सरकार सड़क अच्छी दे पा रही है, यहां नए सड़क बनते सात दिन में धरसाहि हो जाते, आखिर यहां जवाबदेही तैय क्यो नही की जाती है, सड़क में गड्ढे है बया गड्ढे में सड़क पता ही नही चलता, आखिर यहाँ फाइन की व्यवस्था क्यो नहीं, अभी बात करे तो सबौर स्टेट बैंक से लेकर जीरो माइल के बीच इतने गड्ढे हो चुके हैं कि सुध लेने वाला कोई नहीं, आखिर सरकार की नजर सड़क की घटिया निर्माण पर क्यों नही जाती।
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