जितनारायन शर्मा,इंडिया न्यूज नाउ।
गोड्डा।
समाहरणालय स्थित सभागार में उपायुक्त महोदया श्रीमती किरण पासी की अध्यक्षता में हिंदी दिवस समारोह का आयोजन किया गया।
समारोह का संचालन समाहरणालय के प्रधान लिपिक श्री मदन मोहन मिश्र के द्वारा किया गया। कार्यक्रम का आरंभ उपायुक्त महोदया एवं अन्य वरीय पदाधिकारियों के द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया।जिले से आए पत्रकार बंधु एवं अन्य गणमान्य लोगों के द्वारा हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में अपने अपने वक्तव्य रखे गए। उन्होंने हिंदी दिवस की कृतियों के बारे में विस्तारपूर्वक वताया। कार्यक्रम के दौरान श्री सुरजीत झा ने अपनी कविता से लोगों के मन को मोह लिया। और हिंदी दिवस के अवसर पर अपने वक्तव्य को लोगों के समक्ष रखा। हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में वरीय पदाधिकारियों के द्वारा भी अपने अपने वक्तव्य दिए गए।जिले में हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में जिले में पुस्तकालय निर्माण का प्रस्ताव प्रशासन से गई । आईएएस प्रशिक्षु श्री ऋतुराज के द्वारा हिंदी दिवस के शुभ अवसर पर संबोधित किया गया । उपायुक्त महोदया के द्वारा भी हिंदी दिवस के शुभ अवसर पर लोगों को संबोधित किया गया ।उनके द्वारा बतलाया गया कि हिंदी हमारी राजभाषा के रूप में उभर कर आई है आजकल हिंदी का प्रयोग विभिन्न क्षेत्रों में आसानी से हो रहे हैं हिंदी भाषा का उपयोग विभिन्न राज्यों में अधिकांश रूप से किए जा रहे हैं परंतु अधिकांश जगहों में लोकल लैंग्वेज को प्राथमिकता दी जा रही है अपने आदिवासी समाज में जुड़े कुछ विद्यालयों में भी आज अपनी नजदीकी मातृभाषा का उपयोग किया जा रहा है। हिंदी भाषा को मानवता के तौर पर हम उपयोग में ला रहे हैं परंतु किसी नजदीकी भाषा को इनके विरुद्ध थोपा नहीं जा सकता। पश्चिम बंगाल में अभी भी सारे कार्य बांग्ला भाषा में किए जा रहे हैं परंतु बोलचाल में हिंदी भाषा का उपयोग सधारणत: होते हैं। हिंदी भाषा की शुरुआत 14 सितंबर 1953 में हुई थी डॉ जार्ज ग्रियर्सन जो कि आयरलैंड के थे। खड़ी बोली हिंदी सहित समस्त भारतीय भाषाओं और भाषाओं को पहचान दिलाने में बड़ा योगदान है। उन्होंने हिंदी सीखी और उसी को हिंदी की पाठ्यपुस्तक के रूप मे तैयार कर हिंदी को ही लौटा दिया। हिंदी साहित्य के काल विभाजन को उन्होंने वैज्ञानिक दृष्टि दी। लिंग्विस्टिक सर्वे ऑफ इंडिया ,द मॉडर्न वर्नाकुलर लिटरेचर ऑफ हिंदुस्तान व तुलसी साहित्य का वैज्ञानिक अध्ययन जैसी कृतियों से उन्होंने हिंदी में अहम योगदान दिया ।इस प्रकार से अनेक विद्वान हुए जिन्होंने हिंदी भाषा पर विशेष बल दिए। महोदया के द्वारा बताया गया कि हर गांव में हर शहर में हिंदी का अलग-अलग स्वरूप है अलग-अलग जगहों पर इनका महत्व अलग होता है ।उत्तरप्रदेश में हिंदी में पठन-पाठन एवं लेखन की शैली झारखंड एवं अन्य प्रांतों से भिन्न है। इसी प्रकार विभिन्न प्रदेशों में नजदीक के भाषा का उपयोग बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। हिंदी भाषा को आज भी राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं मिला है इनके विरूद्ध आज भी विरोध करने में लगे हैं ।अपने आदिवासी समाज में भी इसी प्रकार की परंपरा है अपनी भाषा को नजरअंदाज नहीं कर हिंदी भाषा को अपनाने में असमर्थ हैं।
मौके पर प्रशिक्षु आईएएस श्री ऋतुराज अनुमंडल पदाधिकारी गोड्डा श्री संजय पीएम कुजूर, जिला नजारत उप समाहर्ता श्री मनोज कुमार ,जिला आपूर्ति पदाधिकारी गोड्डा श्री बंका राम, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी श्री विवेक सुमन सिविल सर्जन गोड्डा श्री रामदेव पासवान ,एवं प्रधान लिपिक श्री सुधीर प्रसाद चौधरी , प्रिंट मीडिया एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, एवं अन्य गणमान्य उपस्थित थे।