श्रीकृष्ण प्रसाद ,इंडिया न्यूज नाउ।
मुंगेर।बिहार।, 12 सितम्बर।
बिना निबंधन वाले अवैध दैनिक अखबार ‘‘ मुंगेर भास्कर‘‘ संस्करण को बन्द करने की मांग से जुड़े अधिवक्ता श्रीकृष्ण प्रसाद के आवेदन, जो मुंगेर के जिला पदाधिकारी को 29 दिसंबर, 2018 को सुपुर्द किया गया था, पर काररवाई की मांग से जुड़े वाद में मुंगेर के जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी सह अपर समाहत्र्ता मो0 नूर अहमद शिबली ने 11 सितम्बर,2019 को सुनवाई कीं ।उन्होंने इस वाद में अगली सुनवाई की तारीख 15 अक्तूवर ,2019 तय की है ।
परिवादी श्रीकृष्ण प्रसाद ।अधिवक्ता। और सरकार की ओर से लोक प्राधिकार सह जिला जनसम्पर्क पदाधिकारी दिनेश कुमार ने सुनवाई में हिस्सा लिया ।
जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने परिवादी श्रीकृष्ण प्रसाद को इस वाद से जुड़े सभी कागजातों को उपलब्ध कराने का आदेश दिया जबकि लोक प्राधिकार सह जिला जन सम्पर्क पदाधिकारी दिनेश कुमार को निर्देशित किया कि वे अगली तारीख 15 अक्तूवर, 2019 को मामले में ‘‘ कृत काररवाई संबंधी प्रतिवेदन‘‘ उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें ।
परिवादी श्रीकृष्ण प्रसाद ने जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा कि उन्होंने 29 दिसंबर, 2018 को मुंगेर के जिला पदाधिकारी के समक्ष बिना निबंधन वाले अवैध हिन्दी दैनिक संस्करण ‘‘ मुंगेर भास्कर‘‘ का प्रकाशन बन्द करने का अनुरोध किया था । आवेदन के साथ प्रेस -रजिस्ट्र्ार । नई दिल्ली। के कार्यालय के सर्कुलर ‘‘ रजिस्ट्र्ेशन के लिए गाईडलाइन्स । प्रोसज्योर ‘‘ और ‘‘ टाइटल- वेरिफिकेशन के गाईडलाइन्स। प्रोसज्योर‘‘ की कापियां भी संलग्न की गईं थीं । प्रेस-रजिस्ट्र्ार ।नई दिल्ली। ने अपने दोनों सर्कुलरों में प्रेस एण्ड रजिस्ट्र्ेशन आफ बुक्स एक्ट का उल्लेख करते हुए स्पष्ट कर दिया है कि ‘‘ अखबार का मालिक एक टाइटिल वाले दैनिक अखबार को कई राज्यों और राज्य के कई जिलों से जिलाबार कानूनी तौरपर प्रकाशित कर सकता है । परन्तु, मालिक को सभी जिलाबार संस्करणों के लिए अलग-अलग ‘‘ निबंधन प्रमाण-पत्र‘‘ और ‘‘ निबंधन-संख्या‘‘ के लिए आवेदन। डिकलेरेशन। का भरा फार्म जिला पदाधिकारी के माध्यम से प्रेस-रजिस्ट्र्ार ।नई दिल्ली। के पास भेजना कानूनी बाध्यता है । दैनिक भास्कर के ‘मुंगेर भास्कर‘संस्करण के प्रकाशन और मुद्रण करनेवाले जिम्मेबार लोगों ने ऐसी कुछ भी कानूनी बाध्यताएं पूरी नहीं की हैं और वेलोग कानून का उल्लंघन लगातार करते आ रहे हैं । ‘‘मुंगेर भास्कर‘संस्करण का न तो निबंधन प्रमाण-पत्र है और न ही इसकी निबंधन संख्या ही है । अखबार का पन्ना को उलट-पुलट कर कोई भी जांच सकता है ।‘‘मुंगेर भास्कर‘‘ संस्करण केवल मुंगेर जिले के पाठकों के बीच ही बिकता है । इसका अन्य किसी भी जिले में बिक्री नहीं है जो दस्तावेजी रूप में प्रमाणित करता है कि यह मुंगेर जिले के पाठकों के लिए प्रकाशित ‘‘मुंगेर संस्करण‘‘ है । जालसाजी की नीयत से कंपनी का मालिक इस अवैध ‘‘ मुंगेर भास्कर‘‘ संस्करण को वैध और निबंधित भागलपुर दैनिक भास्कर संस्करण के साथ मुंगेर जिले में बिक्री करता आ रहा है । ‘‘ मुंगेर भास्कर‘‘ संस्करण में कोई प्रिंट लाइन नहीं है । यह चार पृष्ठों का संस्करण है और चारों पृष्ठों की संख्या भागलपुर के वैध और निबंधित दैनिक भास्कर संस्करण के पृष्ठों के साथ जोड़ी गई है यह दर्शाने के लिए कि ‘‘मुंगेर भास्कर‘‘ कानूनी रूप से निबंधित अखबार है ।
परिवादी श्रीकृष्ण प्रसाद ने न्यायालय को बताया कि प्रेस एण्ड रजिस्ट्र्ेशन आफ बुक्स एकट, 1867 की धारा 8।बी0। में जिला पदाधिकारी को ही अखबार के विरूद्ध कानूनी उल्लंघन से जुड़े आरोपों से जुड़े आवेदन लेने, उस आवेदन पर जांच का आदेश देने और जांच -रिपोर्ट आने पर कानूनी काररवाई करने का कानूनी अधिकार प्राप्त है । परन्तु, मुंगेर के जिला पदाधिकारी ने आवेदन पर विगत आठ माह में कोई काररवाई नहीं की है ।
लोक प्राधिकार सह जिला जनसम्पर्क पदाधिकारी दिनेश कुमार ने सरकारी पक्ष रखते हुए कहा कि ‘‘ वे इस मामले को जिला पदाधिकारी के संज्ञान में लायेंगें । ‘‘
परिवादी श्रीकृष्ण प्रसाद ने न्यायालय से प्रार्थना की कि उनके आवेदन पर जिला पदाधिकारी की ओर से काररवाई सुनिश्चित कराने की कृपा की जांए । जिला पदाधिकारी के सामने दो विकल्प हैं । वे या तो आवेदन को आधारहीन बताकर रद्द कर दें या आवेदन पर जांच कराकर जांच-रिपोर्ट के आधार पर प्रेस एण्ड रजिस्ट्र्ेशन आफ बुक्स एक्ट की धारा 8।बी0। के तहत न्यायोचित कानूनी काररवाई करें । जिला पदाधिकारी आवेदन को महीनों-महीनों लंवित नहीं रख सकते हैं ।
परिवादी ने न्यायालय के समक्ष कानून की किताव की संदर्भ धारा की व्याख्या कीं ।
।समाप्त।
नोटः–जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के आदेश की प्रति यहां संलग्न की जा रही है ।