(अनुभव की बात,अनुभव के साथ)
मोकामा के विधायक अनंत सिंह की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं।हत्या की साजिश के वायरल ऑडियो की एफएसएल जांच रिपोर्ट के अनुसार विधायक अनंत सिंह की आवाज का नमूना और वायरल ऑडियो की आवाज मैच कर रही है।निष्कर्ष यही है की हत्या की साजिश के वायरल ऑडियो में आवाज मोकामा के विधायक अनंत सिंह की है।
पिछले एक महीने से बिहार की राजनीति के अपराधीकरण की चर्चा एक बार फिर जोर शोर से हो रही है। 16 अगस्त की देर रात बाढ़ एएसपी लिपि सिंह के नेतृत्व में पुलिस बल ने विधायक अनंत सिंह के नदवां स्थित पैतृक आवास पर छापेमारी की।पुलिस के अनुसार वहां से एके-47 और हैंड ग्रेनेड बरामद हुए।अगले ही दिन विधायक अनंत सिंह फरार हो गए।जिन्होंने 23 अगस्त को दिल्ली की एक अदालत में सरेंडर किया। फिलहाल वो जेल में बंद हैं।विधायक और उनके समर्थक इसे एक साजिश करार दे रहे हैं।उनका कहना है कि साजिश के तहत उनके घर पर एके-47 रखवाया गया है।अनन्त सिंह के जेल जाने के बाद से सोशल मीडिया पर कुछ और वीडियो वायरल हुए,जिसमें उनके कट्टर विरोधी विवेका पहलवान के लोग एके-47 लहराते नजर आ रहे हैं।पुलिस मामले की जांच कर रही है,परंतु अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हो सकी है।
दूसरी ओर विधायक अनंत सिंह की ओर से उनके प्रतिनिधि के द्वारा लगातार प्रेस वार्ता कर जदयू के कई बड़े राजनेताओं के अपराधियों से गठजोड़ का पर्दाफाश किया जा रहा है।जिसमें जदयू के कद्दावर और प्रमुख नेता सांसद ललन सिंह, आरसीपी सिंह और प्रदेश के सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार का नाम शामिल हैं।विधायक प्रतिनिधि के द्वारा इन नेताओं के साथ अपराधियों की तस्वीर जारी की गई है।विधायक प्रतिनिधि के द्वारा मंत्री नीरज कुमार और विधायक अनंत सिंह के गहरे संबंधों को भी बताया जा रहा है।ऐसे दुनिया जानती है अनंत सिंह किनके संरक्षण में विधायक बने और किनके संरक्षण में फले-फूले।
राजनीति और अपराध का गठजोड़ काफी पुराना है।संभवतः नब्बे के दशक में राजनीति का अपराधीकरण विशेष रूप से हुआ।हत्या,लूट, बलात्कार सहित कई अन्य आपराधिक मामलों के कई आरोपी विधानसभा पहुंचने में सफल रहे।बैलट पर बुलेट भारी था और बूथ कैप्चरिंग की घटनाएं आम थी।धीरे-धीरे इस पर थोड़ा बहुत लगाम तो लगा,परंतु तब तक बाहुबलियों को राजनीति का चस्का लग चुका था और कई बाहुबली राजनीति में जम चुके थे।इन्हें सत्ता का संरक्षण मिला और यह खूब फले फूले।जो सत्ता के साथ रहे सुरक्षित रहे और जिन्होंने सत्ता का विरोध किया,सलाखों के पीछे चले गए।अनंत सिंह का मामला अदालत में है,वो जेल में बंद हैं।ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि अदालत क्या फैसला सुनाती है।
परंतु मैं सोंचता हूँ कि क्यों न किसी स्वतंत्र एजेंसी से एक जाँच बिहार के राजनेताओं और अपराधियों के गठजोड़ की करवाई जाए,अनुमान है पर्दे के पीछे सब नंगे ही नजर आएंगे।