रंजन कुमार (सासाराम)
हमारी संस्कृति में हर मौसम के गीत हैं। फागुन में फगुआ, चैत में चैता, तो सावन में कजरी के गीत गाए जाते हैं। उसी तरह गृहस्थ जीवन में जन्म से लेकर मृत्यु तक के गीत हैं। ठीक वैसे ही इन दिनों रोहतास में किसान धान की रोपनी कर रहे हैं और पूरा खेत रोपनी के गीत से गुंजायमान हैं। महिलाएं रोपनी के गीत गा रही हैं। धान की रोपनी करने वाली रोपनीहार महिलाएं घुटने भर कीचड़ में उतर कर रोपनी के पारंपरिक गीत गाती हैं। इस गीत में घर परिवार की कहानियां होती है। अपने-परायो का सुख दुख होता है। साथ ही भगवान से प्रार्थना की जाती है कि मौसम सुहाना बना रहे। इंद्र से प्रार्थना की जाती है कि वर्षा हो।ताकि धान की रोपनी बढ़िया तरीके से हो सके। महिलाएं कहती हैं कि जब खेतों में वे लोग रोपनी के लिए उतरती हैं और एक साथ पारंपरिक गीत गाती हैं तो थकान नही होती और काम का निपटारा भी हो जाता है। गौरतलब है कि रोहतास धान का कटोरा कहा जाता है। यहां धान की उन्नत नस्ल की खेती होती है। इस खेती में पुरुषों से कहीं बढ़ चढ़के महिलाओं का योगदान होता है।