आरिफ हुसैन जामताड़ा
जिला कृषि भवन के सभगार में शुक्रवार को खरीफ कर्मशाला शुभारंभ का शुभारंभ उपायुक्त डॉक्टर जटाशंकर चौधरी ने दीप प्रज्वलित कर किया। कृषि पशुपालन एवं सहकारिता विभाग द्वारा आयोजित खरीफ कर्मशाला में जिला संयुक्त निदेशक संथाल परगना अजय कुमार, कृषि विज्ञान केन्द्र के वरीय वैज्ञानिक संजीव कुमार, जिला सांख्यकी पदाधिकरी अनील कुमार, जिला परिषद अध्यक्ष दीपिका बेसरा, उपाध्यक्ष शायरा बानू, उपस्थित थे। इस मौके पर उपायुक्त ने संबोधित करते हुए कहा कि हमरा देश कृषि प्रधान देश है और हमारे जीविका का सबसे बड़ा साधन खेती है। ऐसे में अगर वर्षा काम होता है तो इसका सीधा प्रभाव हमारे खेती पर पड़ता है। हमे वर्षा आधारित खेती के बजाय ऐसे फसलों की खेती की जानी चाहिए जिन्हें सिचाई हेतू कम जल की आवश्यकता होती है। इस तरह से कम वर्षा से होने वाली सामस्या से निदान मिल जाएगा साथ ही किसानों की उपज भी अच्छी होगी। उन्होंने कहा कि किसानों के लिए लागत कम करने, अधिक उत्पादन बढ़ाने, बेहतर मूल्य एवं महाजनो के चंगुल से किसानों को कैसे बचाया जय आदि बातों पर विस्तार से बताया गया। ऊपायुक्त ने कहा कि आप सभी किसान अपने खेत के मिट्टी का प्रयोगशाला में जांच कराकर soil health card ले ले। इससे ये पता चल जाएगा कि आपके खेत मे कौन सा तत्व प्रचुर मात्रा में है एवं किस तत्व की कमी है। इस तरह से आपके खेत मे अतिरिक्त खाद का खर्च बच जाएगा। साथ ही खेत मे यूरिया के प्रयोग को कम करने की सलाह दी गई।अधिक यूरिया के प्रयोग से मिट्टी की उर्वरता पर भी असर पड़ता है साथ ही भूमिगत जल एवं पर्यावरण को दूषित होने से भी बचाया जा सकता है। उपायुक्त ने जिला कृषि पदाधिकारी को निदेश दिया कि नई तकनीकों एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से खेती करने हेतू किसानों को प्रशिक्षण दिया जाय साथ ही वैसे किसान जो इजरायल जा चुके है उनके माध्यम से भी किसानों को जानकारी दी जाय। उपायुक्त ने जिला के युवाओं से खेती के कार्य मे बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने की बात कही तभी जाकर कृषि कार्यो में नई तकनीकों एवं वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग किया जा सकेगा। इसके अलावे उपायुक्त ने समहू में खेती करने की भी बात कही गई। संयुक्त निदेशक संथाल परगना के अजय कुमार ने कहा कि कम वर्षा की वजह से आप सभी किसान चिंता करने के बजाय आप सभी वैसे फसल लगाए जिसमे कम सिचाई की जरूरत पड़ती है। इनके द्वारा खेती में लागत मूल्य कम करने की विधि बताते हुए कहा की धान की सीधी बुआई करें। उन्होंने कहा कि एक एकड़ भूमि में कदवा करने के लिए पंपिंग सेट से पानी भरने पर कुल लागत करीब 6000 खर्च आती है। इसी तरह से एक एकड़ कदवा किए गए खेत में करीब 20 मजदूर लगेगा एवं 200 प्रतिदिन की दर से 4000 रुपए खर्च होंगे। वहीं 1 एकड़ खेत में ट्रैक्टर से कदवा करने पर लगभग 2000 खर्च है इस प्रकार से 1 एकड़ भूमि पर धान की बुआई करने पर 12 हजार राशि खर्च होती है, जबकि सीधी बुआई करने से नर्सरी पैदा करने, रोपाई में मजदूर एवम कदवा में होने वाली खर्च बचती है। इसी प्रकार से खरपतवार नाशी दवा का प्रयोग कर निकाई-गुड़ाई में होने वाली मजदूरों के खर्च में भी बचत होती है। धान की सीधी बुवाई करने के बाद सूखे की स्थिति में जल प्रबंधन वैज्ञानिक ढंग से करने पर पानी का खर्च भी बचता है। धान की बुवाई का उपज रोपी गई धान के समतुल्य मिलता है। धान की सीधी बुवाई की फसल पारम्परिक रूप से बोई गई फसल के तुलना में 8 से 10 दिन पहले कट जाती है। इस दौरान उपायुक्त डॉ जटाशंकर चौधरी संयुक्त निदेशक संथाल परगना अजय कुमार जिला परिषद अध्यक्ष दीपिका बेसरा, उपाध्यक्ष सायरा बानो, कृषि पदाधिकारी सबन गुड़िया के द्वारा वृक्षारोपण कर प्रकृति को हरा-भरा रखने का संदेश दिया गया। साथ ही उपायुक्त ने सभी से अपने जीवन मे 10-10 पेड़ लगाने की अपील किया गया।