अमित कुमार झा, इंडिया न्यूज नाउ।
राजोंन,बांका।
बांका जिले में इनदिनों मानो गलत आवेदन देकर प्रशाषन को गुमराह करने की व निर्दोष व्यक्ति को फसाने की होड़ सी लग गयी है। सिंघनान पंचायत के रामपुर गांव में गलत आवेदन देकर प्रशाषन को गुमराह करने की साजिश की गई किंतु डीआईजी विकास वैभव के हस्तक्षेप से मामले का खुलासा हुआ और गिरफ्तारी भी हुई। ठीक उसी प्रकार से आज एक नई घटना रजोंन थाने अंतर्गत सामने आई है।
जिले के रजौन प्रखंड के विकास मित्र पियुष बाजपेयी ने बांका एसपी अरविंद कुमार गुप्ता को सोची समझी साजिश के तहत बेवजह निर्दोष व्यक्ति को परेशान करने के लिए रंगदारी का आवेदन सौंपा है।
दिये गये आवेदन में लिखा हैं कि रजौन थानाक्षेत्र के सिंहनान पंचायत के धोबीडीह गांव के कवित यादव के द्वारा बेवजह जाति सूचक गाली-गलौज के साथ मारपीट कीया है और रंगदारी की मांग करता हैं।
जब इस बात की जानकारी प्रखंड कार्यालय रजौन को मिली तो लगभग लगभग प्रखंड सभी कर्मी नाम नहीं छापने की बात कहकर बताया कि :
पियूष बाजपेयी खुद सभी के घर घर जाकर शौचालय योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, सुखाड़ योजना के अंतर्गत बड़े पैमाने पर मोटी रकम और अवैध वसूली करता हैं।इसने शौचालय के नाम पर अपना एक काला साम्राज्य खड़ा कर लिया है ।
जिस कारण कवित यादव ने विकास मित्र पियुष बाजपेयी को कई दफा समझाया भी , लेकिन विकास मित्र लगातार अवैध वसूली करते रहे।
स्थानीय ग्रामीणों से मिली प्राप्त जानकारी के अनुसार
विकास मित्र पियुष बाजपेयी ने दिनांक 04/07/2013 को धोबीडीह गांव के कवित यादव से सामुदायिक भवन में खर्च के लिए 11,000/ रूपये नगद लिये थे. 06 साल बीत जाने के बाद भी पैसे नहीं दिया गया । जब पैसे की मांग की गई तो उल्टे रंगदारी की आवेदन बांका एसपी,एससी एसटी थाना और जिला पदाधिकारी बांका को षड्यंत्र और साजिश के तहत रंगदारी की आवेदन सौंपी ताकि मैं पैसे से वंचित रह जाउ, और निर्दोष व्यक्ति फंस जाये ये सोच
विकास मित्र की रही।
आवेदन में विकास मित्र के द्वारा लिखा गया हैं कि मेरे पैकेट से 20,000/ रूपये ले लिया और जान से मारने की धमकी भी दिया। उल्लेखनीय इस बात की हैं कि जब बीस हजार रूपये लिया गया उस वक्त क्यों नहीं मामला पुलिस के संज्ञान में लाया गया।
25,000/ रूपये हर एक महीने की रंगदारी मांग की गई. काफी ग्रामीणों और बुद्धिजीवी व्यक्तियों से ऐसा बातचीत के क्रम में ऐसा प्रतीत हुआ कि यह बिल्कुल सोची समझी साजिश के तहत निर्दोष व्यक्ति कवित यादव के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया.
वहीं दूसरी ओर कवित यादव से बातचीत के दौरान बताया कि:
मेरे उपर लगाया गया आरोप बेबुनियाद हैं. विकास मित्र ने मुझसे सन 2013 में 11000/- रुपिया लिए थे, उसका लिखित है मेरे पास।
इस रुपये को 15 दिन में वापस लौटाने की बात कही थी लेकिन छह साल बीत जाने के बाद भी वापस नहीं किये।विगत कुछ दिनों पहले मैंने विकास मित्र को कहा कि अब खेती की समय हैं पैसा लौटा दीजिए मैं धान की बुआई करवाउंगा।
पीड़ित कवित यादव
लेकिन विकास मित्र ने षड्यंत्र और साजिश के तहत रंगदारी की आवेदन वरीय पदाधिकारी को सौंपी । हमारी प्रतिष्ठा धूमिल की गई हैं।
अब देखना बड़ा दिलचस्प होगा कि पुलिसिया अनुसंधान में क्या बाते सामने आती हैं यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।