प्रकाश राज, इंडिया न्यूज़ नाऊ ।
हाजीपुर/ वैशाली । इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम के कहर से अब तक 48 बच्चों की मौत हो चुकी है। इस बीमारी से ग्रसित बच्चे अस्पताल में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं। सबसे हैरत करने वाली बात यह है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन का मुजफ्फरपुर दौरा भी रद्द हो चुका है। जिससे लोगों में काफी आक्रोश है। मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन डॉ शैलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि मरने वाले बच्चों की संख्या बढ़कर 48 हो गई है। वहीं जिलाधिकारी आलोक रंजन घोष ने कहा कि मुजफ्फरपुर के दो अस्पतालों श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज और अस्पताल एवं केजरीवाल हॉस्पिटल में इस बीमारी से मरने वाले बच्चों में मुजफ्फरपुर वैशाली सीतामढ़ी और पूर्वी चंपारण के रहने वाले बच्चे शामिल हैं। उन्होंने कहा इस चुनौती का सामना करने के लिए ग्रामीण इलाकों में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। डीएम ने कहा अभिभावकों को बच्चों में सर्दी, सिरदर्द जैसे कोई भी लक्षण दिखाई देने के बाद उन्हें नजदीक के अस्पताल में भर्ती करवाने की सलाह दी गई है। उन्होंने कहा चमकी बुखार से ग्रस्त बच्चों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती करने के बाद उन्हें बड़े अस्पतालों में रेफर कर दिया जाता है। ऐसे मरीजों के इलाज पर होने वाले सभी तरह के खर्च राज्य सरकार कर रही है। डीएम ने कहा कि बच्चों में इंसेफेलाइटिस के 2 से 3 घंटे के भीतर इलाज शुरू हो जाने से उनके बचने की संभावना 90% बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि गर्मी ने इस समस्या को और अधिक बढ़ा दिया है। डॉक्टरों का कहना है कि इससे बुखार, सिरदर्द, उल्टी और बेहोशी जैसी समस्याएं पैदा हो जाती है। रोगी का शरीर निर्बल हो जाता है और वह रोशनी से डरता है। कुछ रोगियों के गर्दन में जकड़न आ जाती है। डॉक्टरों के अनुसार कुछ रोगी लकवा के भी शिकार हो जाते हैं। इस बीमारी से बचने के तरीके पर डॉक्टरों ने कहा इंसेफेलाइटिस से बचने के लिए समय से टीकाकरण करवाना चाहिए। आसपास साफ सफाई रखनी चाहिए। गंदे पानी के संपर्क में आने से बचना चाहिए। इस बीमारी से कबचने के लिए मच्छरों से बचाव करें और घरों के आसपास पानी ना जमा होने दें। बारिश के मौसम में बच्चों को बेहतर खानपान दें।