बद्रीप्रसाद गुप्ता, लातेहार।
लातेहार जिला के
महुआडांड प्रखण्ड मे
बुढ़ा घाघ मे आयोजित तीन दिवसीय रूद्र अखंड महायज्ञ में शामिल होने के लिए दूसरे दिन शुक्रवार को झारखंड राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास की धर्मपत्नी रूकमणी देवी यज्ञ स्थल पहुँची व कार्यक्रम में शिरकत कर आयोजन मंडल को बधाई भी दी। श्रीमती रूकमणी देवी ने आयोजन मंडल को बधाई देते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम होते रहने चाहिए।
वहीं तीन दिवसीय रूद्र अखंड महायज्ञ के दूसरे दिन शुक्रवार को वैदिक मंत्रों च्चारण के बीच मंडप प्रवेश के साथ पुजन प्रारंभ हो गया। वहीं नवम वर्षगाँठ को लेकर आयोजित रूद्र अखंड महायज्ञ को लेकर गुरूवार को यज्ञ मंडप से कलश यात्रा निकाली गई। ये कलश यात्रा यज्ञ मंडप से प्रारंभ होकर लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर बुढ़ा घाघ जलप्रपात पहुंचेगी जहाँ वैदिक मंत्रोंउच्चार के बीच कलश मे जल भरकर श्रद्धालु वापस यज्ञ मंडप पहुंच कर यज्ञ मंडप की परिक्रमा कर कलश स्थापित किये। वहीं शाम सात बजे से अखंड कीर्तन का आयोजन किया गया है। जिसमें हजारों की भारी संख्या में हिन्दू समुदाय के लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम को सफल बनाने मे सांसद प्रतिनिधि इस्तेला नगेशिया, देवनारायण प्रसाद, अनिल प्रसाद, मनोज सिंह, सुभाष प्रसाद, सुशील नगेशिया, अमृत राम, सरफू राम, कामख्या सिंह, सुखदेव मिस्री, रामदयाल राम, दशरथ नगेशिया, नन्दकिशोर बैगा, आदि सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं ।
बुढ़ा घाघ मे स्वतः हुआ था मूर्तियों का प्रादुर्भाव
प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बुढ़ा घाघ जलप्रपात नवम्बर 2010 से आस्था का केंद्र बना हुआ है । यहां भगवान शंकर, माता पार्वती, विध्नहर्ता गणेश व शेषनाग की प्रतिमा का प्रादुर्भाव स्वतः हुआ था।इन मूर्तियों को सबसे पहले लोध गांव के दिलीप तिर्की ने देखा था।इसके बाद आसपास के गांवो के लोगो ने इसे दैवीय शक्ति बताते हुए मूर्ति को वहीं प्रतिष्ठापित कर पूजा अर्चना प्रारंभ कर दी ।श्रध्दालुओं के द्वारा उसी वर्ष से रूद्र महायज्ञ प्रारंभ किया गया जो अनवरत जारी है । हालांकि वर्ष 2012 मे इन मूर्तियों की चोरी कर ली गई, बावजूद इसके श्रध्दालुओं के श्रद्धा मे कमी नही आई।ग्रामीणो ने मिलकर दूसरी मूर्तियां प्रतिष्ठापित कराकर पूजा अर्चना प्रारंभ कर दिया, जो अनवरत जारी है सावन माह मे यहां सर्वाधिक भीड़ उमड़ती है ।