दलसिंहसराय(कुणाल गुप्ता)-
प्रखंड के सभी पंचायतों एवं शहरी क्षेत्रों में सोमवार को सती सावित्री की वट पूजा हर्षोल्लास के साथ मनाई गई। सुहागिनों ने लंबे समय तक उपासना कर वटवृक्ष के समक्ष विधिवत पूजा और अपने-अपने पति के लिए दीर्घायु जीवन की कामना की। ऐसा माना जाता है कि वटवृक्ष की जड़ों में ब्रह्मा, तने में भगवान विष्णु व डालियों व पत्तियों में भगवान शिव का निवास स्थान होता है। सती सावित्री की कथा सुनने व वाचन करने से सौभाग्यवती महिलाओं की अखंड सौभाग्य की कामना पूरी होती है। हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत का काफी महत्व है। यह पूजन स्त्रियां सौभाग्य प्राप्ति और पति की लंबी आयु की कामना के लिए करती हैं। इस दिन सभी सुहागन महिलाएं पूरे 16 श्रृंगार कर बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। हर साल वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को मनाया जाता है। शहर में जहाँ हर दिन की अपेक्षा आज गर्मी कम थी जिससे व्रती महिलाओं को परेशानियों का सामना न के बराबर करना पड़ा । मान्यताओं के अनुसार वट सावित्री व्रत में वट यानी बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। क्योंकि वट के वृक्ष ने सावित्री के पति सत्यवान के मृत शरीर को अपनी जटाओं के घेरे में सुरक्षित रखा ताकि जंगली जानवर शरीर को नुकसान नहीं पहुंचा सके।
सुबह से ही व्रती महिलाएं पूजा सामग्री बांस का पंखा, लाल या पीला धागा, धूपबत्ती, फूल, पांच फल, जल से भरा पात्र, सिंदूर, लाल कपड़ा, अक्षत आदि लेकर वट की पूजा करती दिखी ।
मान्यतः के अनुसारवट सावित्री व्रत के दिन सुहागन महिलाएं सुबह उठकर स्नान आदि कर शुद्ध होकर सोलह श्रृंगार करें। इसके बाद पूजन की सारी सामग्री को एक टोकरी या डलिया में सही से रख लें। फिर वट (बरगद) वृक्ष के नीचे सफाई करने के बाद वहां पूजा की सामग्री रखें। इसके बाद सत्यवान और सावित्री की मूर्ति को वहां स्थापित करें। फिर अन्य सामग्री जैसे धूप, दीप, रोली,
भिगोए चने, सिंदूर आदि से पूजन करें और कथा का पाठ करें। ऐसा करने से व्रती महिलाओं के पति की आयु लम्बी होती है। शहर के मालगोदाम रोड, गोला पट्टी स्थित गोला घाट, मंसूरचक रोड, ब्लॉक परिसर सहित प्रखंड के पंचायत अजनोल,रामपुर जलालपुर, केवटा, मोख्तियार पुर, पगड़ा, हरिशंकर पुर सहित गई गांवो में वट पूजा धूमधाम से मनाई गई ।